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डरी हुई चिड़िया का मुकदमा

डरी हुई चिड़िया का मुकदमा एक : एक डरी हुई चिड़िया पिंजरे में बंद है खूनी पंजों से बाहर कैसे जायेगी तम्बाकू मलते हुए है तोंदू दरोगा ठकुरई अंदाज में अपनी भाषा में सिपाही को समझाता है क्या तुम जानते हो दो-दो पांच कैसे होते हैं सिपाही अपनी सूड़ हिला देता है हिंदी की रीतिकालीन कविता की तरह वह प्रत्येक अंग की शालीन सफाई करता है जैसे सब लोग करते हैं मौका पाकर   एक ही सांस में सारी बातें मात्रिक छंदों में समझा देता है जैसे समझाता है नाई का उस्तरा   वकील बन मुकदमे से पहले का हार समझाता है भय, भूख, भ्रष्टाचार की दुहाई देता है, बताता है जीवन के लम्बे अनुभव “बड़का बाबू का किहे रहिन ओकरा साथे सब जानत हैं”    पंडित बन धर्म की दुहाई देता है, लाभ लोभ समझाता है बस अब राम नाम लो जो कुछ हुआ सब भूल जाओ बताता है इस करनी का फल वहां मिलेगा जहाँ केवल देवता रहते हैं   न्यायालय में क्या तेरा बाप बैठा है जो फाइल ढूंढेगा   पूरे मुकदमे का बहीखाता बताता है बन महाजन माँ-बहिन की आरती उतारता हुआ बुदबुदाता है अधूरी जांच लटक जा...