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फ़रवरी 27, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बड़ी उम्मीद से लिख रहा हूँ मैं

    उसकी भी गुजारिश जिसे तुमने अचानक मना कर दिया गिलहरियाँ जिनको तुम्हारे साहचर्य से जीना था   उसे जिसे देख अनचाहे मुड़ गए तुम्हारे कदम उसकी जिसकी आँखे उम्मीद से लाल हो गईं वह जिसका कोई नहीं है तुम जानते हो जिसका भेड़िया प्रश्न तुम्हारे आगे दुम हिलाता रहा   सदियों का संताप झेलनेवाले गूंगों की भाषा बोलनेवाले पपीहे जूठन खाने वाले जानवर   तुम्हारे जूते की मरम्मत करनेवाला मोची तुम्हारे गाड़ी पर पोंछा लगाने वाला लड़का तुम्हारे बेटियों को स्कूल ले जाने वाला रिक्शा   जिन्हें संसद की भाषा में लिखना था इतिहास अनचाहे संविधान पर कर दिए हस्ताक्षर   वे सभी जो दलित वंचित पिछड़े हैं जिनकी निगाहें इलाज का सपना तोड़ रहीं हैं जो सर्दियों की रात में तारों से ताश खेलते हैं   जिनकी निगाहों में शिक्षा की सुई गोल घूमती है सफ़ेद ग्लोब में जिनका घर नजर नहीं आता   पांचसाला जादू जिनके आँचल में दम तोड़ देता है   तुम्हारे आसपास की प्रकृति, संरचना, बनावट, बुनावट ठेले पर हिमालय बे...