
क्या आप मनोरंजन ब्यापारी को जानते हैं “मैं एक दलित लेखक हूँ. मैं लिखता हूँ क्योंकि मैं हत्याएं नहीं कर सकता. यदि मुझे हत्या का अधिकार हो तो लिखना छोड़ दूँ.” इससे पहले हमने कभी नहीं सुना, देखा, जाना था उनका नाम. पर वे सच में जादूगर हैं. वे किसी उपन्यास के नायक से कम नहीं हैं. उनकी बांग्ला मिश्रित हिंदी ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. अवसर था प्रथम “पटना लिटरेचर फेस्टिवल” का उन्हें सुना तो फिर उठने का मन नहीं हुआ. वैसे वे एक दलित लेखक के प्रतिनिधि के तौर पर वहाँ आमंत्रित थे. जब उनका परिचय दलित साहित्य के उन्नायक डॉ.बजरंग बिहारी तिवारी जी ने कराया तो लगा उन्होंने हीरा खोज लिया है. उनकी खोजी वृत्ति ने हम हिंदी वालों का बहुत उपकार किया. कथादेश में बजरंग बिहारी तिवारी ने उस ‘ दलित ’ लेखक के ऊपर पहले एक बहुत सुंदर लेख लिखा था. यह हम हिंदी वालों से उस बांग्ला लेखक का पहला परिचय , जिसका जीवन ही साहित्य है. स्वाध्याय से शिक्षा अर्जित करने वाले मनोरंजन ब्यापारी रिक्शा चलाते थे , कि वे एक स्कूल में ...