कोई जालिम भूख उन्हें खा जायेगी!
कोई जालिम भूख उन्हें खा
जायेगी!
देश के उस हिस्से में
जहाँ मैं बड़ा हुआ
चीलें मंडरा रहीं हैं
घरों के आस-पास
वे चीलें जिनके पंजे
लोहे से बने हैं
जिनके चोंचो की धार में
समा गया है सारा
मुल्क
कुरकुरे की पन्नियों
से ज्यादा चमकदार
बोतलबंद सोडे से
ज्यादा मारक हैं उनकी निगाहें
सुमुखी विज्ञापन वाली
चीलें,
निर्देशित कर रही हैं
फ़िल्में, कला, आलोचना, नामवरी दहशत
सकुनियों के देश में
समझना होगा
कब और कहाँ लुटने
वाला तंत्र खड़ा है
वे चीलें आम चीलें
नहीं हैं
उनका कद अरब के
गिद्धों से बड़ा है
रवायती सांप और चीलें
अब दोस्त हैं
सावन की यह दोस्ती
गुल लुटने तक कायम है
बलात्कारी देश में
सांप की आँखों में
चमक तेज है
चमक तेज है कि चूहे
घूम रहे हैं दर-बदर
उनके अपने खेत तो
नहीं उन्हें मरने यहीं आना है
यही बिल्लियों के
मजबूत पंजों में
असंतुष्ट आग तेज जल
रही है
धीरे-धीरे ठंडी हो
जायेगी मृत्युक्षुधा
कुछ लोग फूंकमारकर
जिन्दा रक्खेंगे दलित जान
वहशीपन जिन्दा रखने
के लिए
चीलें मेरे बहुसंस्कृति
वाले देश का आइकॉन हैं
उन्होंने अपना रूप
बदल लिया है
इस लत्ता देश में
वे जिन्हें सांप से
भी डर लगता है और चीलों से भी
सावधान रहें
कोई जालिम भूख उन्हें
खा जायेगी!
कहते हैं आत्मा मरती
नहीं
फिर कहाँ मरी हैं
चीलें
उनका कायांतरण हो गया
है क्या ?
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