मेरे ह्रदय में तुम्हारी प्रार्थना जीवित है


 

 

छोटे छोटे दुखों से हरी-भरी रातें

चहलकदमी करते दरवेश से तुम

आस्था का कुम्भ नहाकर लौटी मेरी देह

गुम हुई अर्थ की तलाश में गई मेरी आत्मा

और शायद वह कुछ जो बचा है मेरे भीतर

तुम्हें आवाज देते हैं 

 

वह आवाजें जो बधिया नहीं सकतीं

वे विचार जिनके डूबने से गुडुप की आवाज होती है

वह सपने जिनके मरने से हम मरते नहीं हैं

पर हार जाते हैं बिना लड़े युद्ध

तुम्हारा दिया हुआ बहुत कुछ है इस काया भीतर

जो इन सूखी अस्थियों को आधार देता है

 

अनगिनत रातों तक जागता हुआ मैं उनीदा सोया रहा हूँ

अनागत सेज पर बैठी हुई मेरी देह

बतियाती रही है ताउम्र तुमसे

कुछ था जिसे कहने के लिए बादल आते रहे थे

और जब बरसे थे तो भीतर तक भीग गया था मैं

 

बरक्श कुछ चीजें हैं, तुम्हारी पवित्र किताब में दर्ज

मैंने छूने का साहस नहीं किया

तुम सा बनने की बहुत कोशिश की मैंने

पर असफलता ने मेहनत करने की सीख दी

और कहा मैं तुम्हारे इशारे पर चलूँ

 

धूप तुम्हारे अच्छे के लिए है

कहा था एक दिन तुमने, मैंने धूप को धूनी बना लिया

अभी तक तपा रहा हूँ खुद को

उस बरगद की तरह, जिसने खुद को तपाया है

और अपने नीचे से एक नदी गुजरने दी है  

ओ मेरे दलित देवता मेरे सपने मरने मत देना

मेरी अंतिम साँसों तक बचाए रखना मेरा स्वत्व 

तुमने आघातों से लोहा ठण्डा किया है

मैं चाहता हूँ

मेरे भीतर जीवित रहे तुम्हारी प्रार्थना

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