‘कविता कलाविहीन’ / आशाराम जागरथ / कर्मानंद आर्य
‘कविता कलाविहीन’ ............................................................................................................................................... डॉ. कर्मानंद आर्य ‘ कविता कलाविहीन’ अवधी के अरघान फेम ‘ पाही माफ़ी’ के उद्भावक आशाराम जागरथ का पहला कविता संग्रह है. एक बार फोन पर लम्बी चर्चा के दौरान उन्होंने बताया था कि अन्य दलित रचनाकारों की तरह वे भी अपने जीवन की दुसाध्य कठनाइयों से उबरने की पीड़ा को व्यक्त करने के लिए आत्मकथा लिखने का मन बना रहे थे और उसके कुछ पन्ने लिखने के बाद उन्हें यह अहसास हुआ कि उन्हें अपना सुख-दुःख गद्य में नहीं अपितु कविता में व्यक्त करना चाहिए. फिर उन्होंने जीवन की रागात्मकता को कविता में हथियार की तरह प्रयोग किया और वहीं से ‘कविता क्लाविहीन’ नामक इस संग्रह की संगठना हो पायी. सौन्दर्य के बने-बनाये प्रतिमानों पर प्रश्नों की बौछार तो अब तक होती रही है पर अपनी कविताओं को ‘कला विहीन’ कोई कबीर ही कह सकता है. कलाविहीनता का यह उदघोस ह्रदय के विशाल फलक को दर्शाता है वह भी तब जब हिंदी की लोकभाषा अवधी में ‘पाही माफ़ी’ के चार सौ छंदों में कवि ने ऐ...
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