बलात्कार का रूपक
हर चौराहे, नुक्कड़, स्कूल, थाने
हर गुजरती ट्रेन के दरवाजे पर
मैंने एक जिन्दा लाश टांग दी है
मेरे प्रिय नेता के पोस्टर से ज्यादा खूबसूरत
इस पोस्टर में लिखा है
‘मेरी आवाज मेरी स्कर्ट से ऊंची है’
उनके सब्र और गुस्से के प्याले से बाहर
रक्खी हुई उनकी आँख से कहो
आयें घूरें मेरा जिस्म
मुझे विधानपरिषद भवन में नहीं
अपने पर्सनल कंप्यूटर में देखें
वह भी देखें जो मेरी चमड़ी के भीतर लाल कत्था है
यदि उ ला ला................
के गीत ख़त्म हो गए हों तो निहारे अपनी कुंठा
देखे मेरी लिपस्टिक, मेरी कमर की गोलाई नापें
हरियाणा में दलित बच्चियों पर हुए सामूहिक बलात्कार
सोनी सोरी का पुलिस उत्पीड़न न सुनें
यह भी न सुनें
उसे नंगा करके जमीन पर बैठाया जाता है
उसे भूख से पीडि़त किया जाता है
उसके अंगों को छूकर तलाशी किया जाता है
उसका आर्त्तनाद न सुनें
मैं एक भारतीय आदिवासी महिला हूं
विधि संहिता में मेरा वस्त्र उतारा जाना जायज है
पर बताया जाय मैं कब तक नुक्कड़ पर नंगी खड़ी रहूँ
सेंट्रल जेल के सिपाही मेरी तरफ घूरें
मुझे गालियों का हार पहनाकर अपने घर ले जाएँ
अपनी दीवारों पर टांग दें और मेरे बाल अपनी मुछों पर लगा लें
अनेक बेटियों वाले प्रधानमंत्री के देश से कहो
बलात्कार जायज है
राष्ट्रपति से कहो वह पढ़ें अभिनंदन पत्र
पंच सितारा होटल में करें मुझपर सेमीनार
उनसे कहो पूरे देश को गुजरात बना दें
हर बोर्ड पर लिखा दें “मुस्लिमों की प्रिय जगह”
उनसे कहो दस साला कमेटियां बना दें
उनसे कहो लोकतंत्र अपराध नहीं है
उनसे कहो कुछ तिवारी और पैदा करें
उनसे कहो हमारी सुरक्षा मोहंती आई.पी.एस को दें
तलवार दंपत्ति को हमारा सरकारी डॉक्टर बनाया जाय
सीबीआई से कहो हमारी जांच करे
तुम बलत्कृत होने का कितना रुपया लोगी?
परवचन वाले बापू से कहो
उसे धर्म की चादर ओढ़ा दें
ब्रह्मा अपनी बेटी से बलात्कार करें इंद्र अहिल्या से
रही सही कमी खापी पूरी करें
यहाँ बजरंगियों को छोड़ देना वे हमारे असली रक्षक हैं
बलात्कार मर्दानगी की निशानी है
अगले हफ्ते का पोस्टर होगा
वह सहमति से सोने की आदी थी
सबको पता है बलात्कारी संस्कृति और पितृसत्ता की
छाया में पलती आज की लड़की
विरोध नहीं करेगी
वह अल्ट्रा मॉडर्न है अतः फेयरनेस क्रीम लगाएगी
आजादी और गुलामी में कोई फर्क नहीं है
सिर्फ एक सोच के
मैं लिपस्टिक लगाऊंगी, नहीं देखते बने तो ये तुम्हारी कुंठा’
डॉ.कर्मानंद आर्य
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