लानत !
लानत !
लानत ! उस बची हुई हरामी
परंपरा को
जिसने मुझे जातिवादी बनाया
जिसने मुझे मजबूर किया
गले में हंडिया लटकाने के
लिए
मैला पैदा करनेवाली योनियों
ने
जिसने मजबूर किया मैला
उठाने को
गंदगी करके हमें गन्दीबस्ती
कहने वालों को
मुझे गटर में डाल कर छोड़
देने वालों को
तुम कहते हो जाति की बातें
न करूँ
अपनी पिछली पीढ़ियों की तरह
मानसिक गुलाम बना रहूँ
लानत! मेरे जन्मने से पहले
पैदा हुई जाति को
लानत! उस ठग परंपरा को जो
मेरे खून में घर कर गई
लानत! उत्तर टोले के लोगों
को
जिसने भूख के बदले गाली दी
जिसने मुझे दक्षिण टोले
सीमित कर दिया
जिसने हमें अलगाने के लिए
अम्बेडकर बस्ती बसाई
हजारों साल से जिसके ऊपर
हाथ रखकर
हमने खाई झूठी कसमें
जिसने मुझे बताया आदमी कर्म
से महान बनता है
ऐसी झूठी किताब को लानत!
झूठ! इसी झूठ ने मुझको मारा
‘आदमी अपनी जाति से महान
बनता है’
अच्छे होने की गारंटी लेती
है अच्छी जाति
हर बार मारने से पहले जिसने
बताई मेरी औकात
जिसने मुझसे कहा नजरे नीची
करके बाते करो!
जिस परंपरा ने मेरी बार बार
परीक्षा ली
जिसने हमारी पीढ़ियों को मौत
के घाट उतारा
जिसने माँगा मेरा अंगूठा
उस परंपरा को लानत!
धर्म में डूबे हुए लोगों
धर्म अफीम नहीं है
धर्म सपेरों का निकाला हुआ
पीला जहर है
घोड़इत के फन से निकलने वाला
जहर
उस बची हुई परंपरा को
जिसने मेरे अन्दर
हीनताग्रंथि पैदा की
जिसने असमय मेरे पिता को
मार दिया
उस हर चीज को लानत जो
मानवता के लिए घातक है
उस बची हुई हरामी परंपरा को
जिसने कहा तुम पढ़े-लिखे
मूर्ख हो !
जहाँ-जहाँ मैं गया, आगे-आगे
पहुंचा मेरा काला वर्ण
उस बची हुई मृत परंपरा को
जिसने पूछी मेरी जात
जब मैंने स्कूल में दाखिला
लिया
जब मैंने वजीफे का फार्म
भरा
जब मैं सबसे पिछली सीट पर,
सबसे अलग बैठा
जब लेखपाल ने पूछी मेरी ज़ात
जब नियुक्ति फार्म में
मैंने जाति का कालम भरा
जब मुझे कहा गया, तुम! तो
आरक्षित हो
तुम तो कोटे में आते हो!
नियुक्ति पत्र में जब लिखकर
आया
तुम आजीवन कोटे वाली नौकरी
में रहोगे !
जन्म से लेकर मृत्यु तक
जब मेरी श्रेणी बना दी गई
मुझे बता दिया गया तुम्हारे
दोस्त!
तुम्हारे रिश्तेदार कौन ?
क्या है तुम्हारी औकात ?
दोस्तों ! अब मैं लडूंगा
मैंने अपनी हीनताग्रंथी को
मार दिया है !
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